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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

हर हथियार आज़माएगा — लेकिन डरना नहीं है

वो जानता है — तुम कहाँ कमज़ोर हो”
वो धीरे-धीरे गिराएगा तुम्हें,
तुम्हारी आदतों से —
“तुम बहुत बोलती हो”,
“तुम्हें शर्म नहीं आती?”
“एक लड़की होकर ऐसी बात करती हो?”

फिर वो बोलेगा —
“तुम्हारी पसंदें ग़लत हैं, तुम्हारी सोच बेढंगी है,
और तुम्हारे दोस्त… बस, मैं नहीं चाहता तुम वैसे रहो।”

वो तुम्हें खुद से शंकित कर देगा।
तुम्हारे कपड़े, तुम्हारा आत्मविश्वास,
तुम्हारी आज़ादी —
सब ‘चरित्र’ की अदालत में खड़े कर देगा।

फिर, जब तुम थोड़ा-सा टूटने लगोगी —
वो कहेगा, “मैं तुमसे प्यार करता हूँ।
तो क्या तुम मेरे लिए सपने छोड़ सकती हो?”

हाँ, वो प्यार की चादर ओढ़ाएगा,
जिसमें छुपे होंगे
नौकरी छोड़ देने के प्रस्ताव,
माँ-बाप से कट जाने की सलाहें,
और हर वो चीज़ जो तुम्हें ‘उसकी’ बना दे।

फिर जब तुम नहीं झुकोगी,
वो निकालेगा अपना आखिरी ब्रह्मास्त्र —
“अगर मैं छोड़ दूँगा तो तुम बदनाम हो जाओगी।
तुम्हारा कोई रिश्ता नहीं टिकेगा।
तुम तो ‘वो’ लड़की हो ना…”

वो हर डर जगाएगा —
समाज का, रिश्तों का, इज़्ज़त का।
हर हथियार चलाएगा —
पर तुम मत डरना।
मत झुकना।
मत टूटना।

क्योंकि हाँ,
वो जानता है तुम कहाँ कमज़ोर हो —
लेकिन ये नहीं जानता,
कि तुम जहाँ कमज़ोर हो,
वहीं तुम्हारा अगला जन्म शुरू होता है।

तुम वहीं से उठोगी,
जहाँ उसने तुम्हें गुमान से कुचला था।
और जब तुम फिर से सीधी खड़ी होगी —
तो वो अपनी नीयत में झुक जाएगा।

— शारदा
(तुम्हें गिराने की पूरी योजना है उनके पास,
पर तुम्हारी आग का नक़्शा नहीं है उनके हाथों में।




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (2)

+

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

आपकी यह रचना एक गहरी चेतावनी है, जो दर्शाती है कि प्यार और संबंधों के नाम पर किसी के आत्मसम्मान, स्वतंत्रता और व्यक्तिगत पहचान को दबाना गलत है - आपको सादर प्रणाम

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

(तुम्हें गिराने की पूरी योजना है उनके पास, पर तुम्हारी आग का नक़्शा नहीं है उनके हाथों में) -- बहुत कमाल

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