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खून पसीना
बहाए मजदूर
सस्ती हसीना !
आजाद देश
मजदूर दुर्दशा
गुलाम वेश !
सदियां पार
श्रमिक बीवी बच्चे
भूखे लाचार !
क्या मजदूर
मेट ठेकेदार से
कम कर्मठ ?
श्रमिक हक
शर्मायदारों जैसी
योग्य दिहाड़ी !
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✍️ राजेश कुमार कौशल
(स्वरचित:06/05/2025)