गीत गाते तू चल गुनगुनाते तू चल,
ज़िंदगी की राह में मुस्कुराते तू चल ।
ये ज़िंदगी है इससे ना तू कोई शिकवा कर
ना कर कोई शिकायत ,
खुशीयाॅं यहाॅं हर किसी को कम
और दुःख बेहिसाब मिलते हैं।
ये ज़िंदगी है साहब
यहाॅं हर कोई चाहता कुछ और है
और उसे मिलता कुछ और है।
गीत गाते तू चल.............।
ये ज़िंदगी है उलझनों से भरी पड़ी ,
यहाॅं नए - नए ख़्वाब सजाकर जीना पड़ता है।
ये ज़िंदगी है साहब
यहाॅं हर दर्द को छुपाना पड़ता है।
गीत गाते तू चल..............।
ये ज़िंदगी एक
अजीब सी कश्मकश में हमें डाले चलती है,
हर इंसान परेशान है यहाॅं ,
पर ये कभी नहीं पिघलती है।
ये ज़िंदगी है साहब
यहाॅं हर किसी को ग़म भुलाकर
मुस्कुराना पड़ता है।
गीत गाते तू चल.............।
ये ज़िंदगी है इससे सुर मिलाते तू चल,
यहाॅं खुश रहकर
अपना हर फ़र्ज़ निभाते तू चल।
ये ज़िंदगी है साहब
यहाॅं सपनों को किनारे रख
जीना पड़ता है।
गीत गाते तू चल गुनगुनाते तू चल,
जिंदगी की राह में मुस्कुराते तू चल।
----रीना कुमारी प्रजापत