दिवाली दियों का त्यौहार है
इसमें बारूदी रंग क्यों मिला
रहे हो।
पड़ोस में शायद कोई बीमार
लाचार दुखी हो
तुम इतना शोर क्यों मचा रहे हो।
त्यौहार शांती सौहार्द के लिए
ना कि धमाकों की गुंजार के लिए
गर बनते हो बड़े धार्मिक तो
ये शोर शराबा क्यों कर रहे हो
धार्मिक आजादी के नाम पर
इतना उत्पात क्यों मचा रहे हो
दिवाली दियों का त्यौहार है
इसे ज़हरीला क्यों बना रहे हो..
हवाएं रो रहीं हैं
फिजाएं रो रही हैं
धरती आकाश के कोना कोना
रो रहा है।
पर्व के नाम पर पर्यावरण का
सत्यानाश हो रहा है।
इसलिए इस बार की दिवाली
पर्यावरण संरक्षण वाली
ना बारूद न पटाखें ना शोर ना
कोई उत्पात
दिवाली केवल दियों के साथ
दिवाली केवल दियों के साथ..