बेचना होगा जमीर को उनके हाथ में।
जिनका हाथ मेरे सर पर रहा साथ में।।
प्रचारतंत्र को कुछ न बताया फिर भी।
खबर फैला रहे विरोधियो के साथ में।।
जांच-पड़ताल करवानी पड़ेगी उनकी।
बदली हवा फैल न जाए उनके साथ में।।
झूठ झूठ चिल्ला रहे 'उपदेश' किसके।
फांस बन गये कुछ रिश्वत के साथ में।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद