हास्य -व्यंग्य
ईमान का खेल
डॉ. एच सी विपिन कुमार जैन "विख्यात"
फिजूल ही वक्त बर्बाद कर रहा है,
ईमान बेचकर, पैसा कमाकर।
जब जाँच का डंडा पड़ा,
तो सब भागने लगे, घबराकर।
कल तक जो थे शेर,
आज गीदड़ बन गए।
जो थे बड़े-बड़े सेठ,
आज कंगाल हो गए।
सोचते थे, "कौन पकड़ेगा हमें,
हम तो हैं कानून से ऊपर।"
पर कानून ने भी दिखा दिया,
कि वो भी है सबके लिए बराबर।
अब तो हर अखबार में,
इनके कारनामे छप रहे हैं।
अंकी, इंकी, टंकी लाल,
सबको सब दिख रहे हैं।
इसलिए, कहते हैं,
ईमानदारी का रास्ता ही सबसे अच्छा है।
बेईमानी का रास्ता,
सिर्फ़ बर्बादी की ओर ले जाता है।