राम जन्म की मंगल बेला
डॉ एच सी विपिन कुमार जैन "विख्यात "
अयोध्या नगरी आज सजी है, राम जन्म का उत्सव छाया,
हर घर आँगन दीप जले हैं, मन में हर्ष उमंग समाया।
कौशल्या नंदन जन्मे हैं, रघुकुल में आनंद छाया,
देवों ने भी पुष्प बरसाए, धरती ने भी गीत सुनाया।
दशरथ के घर जन्मे राम, मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाए,
त्याग, प्रेम, और धर्म की गाथा, जन-जन को सिखलाए।
रावण जैसे अहंकारी का, उन्होंने नाश कराया,
धर्म की स्थापना करके, सत्य का मार्ग दिखाया।
राम राज्य की कल्पना, आज भी मन को भाती है,
न्याय और समता की बात, हर हृदय में समाती है।
राम नाम का सुमिरन करके, मन को शांति मिलती है,
उनके आदर्शों पर चलकर, जीवन सफल बनता है।
राम जन्म की मंगल बेला, हर घर में खुशियाँ लाई है,
उनके चरणों में श्रद्धा सुमन, हमने आज चढ़ाई है।
जय श्री राम, जय श्री राम, हर मन यही दोहराता है,
राम नाम का यह अमृत, जीवन को धन्य बनाता है।


The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra
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