कविता : विफल....
हे प्रिय जानू काफी साल
बाद तुम को देखा
तुम्हें खिड़की से देख तुम्हारे
लिए कविता लिखा
तुम्हें खिड़की से
देखते हुए
तुम्हारे लिए कविता
लिखते हुए
फिर मुझ को ये
खयाल आया
लाख कोशिश करके भी
तुम को मैंने नहीं पाया
लाख कोशिश करके भी
तुम को मैंने नहीं पाया.......