वो ना होती तो
मैं दर्द से रूबरू ना होती,
दर्द से रूबरू ना होती तो
आज मैं इतनी सुंदर
कविता ना लिख रही होती।
वो ना होती तो
आज मैं अपने जज़्बातों को
कागज़ पर ना लिख रही होती,
जो अपने जज़्बातों को
कागज़ पर ना लिखा होता तो
आज मैं इन बुलंदियों पर ना होती।
वो ना होती तो
मैं ज़मीं के लायक भी ना होती,
जो ना दिए हुए होते उसने इतने दर्द तो
मैं आज आसमां पर ना होती।
वो ना होती तो
मैं बदलते लोगों के रवैया से
वाक़िफ़ ना होती,
जो वाक़िफ़ ना होती उससे
तो आज मैं अंधेरे में होती।
~रीना कुमारी प्रजापत