हमने सुनी है हर रोज कहानी,
कभी सुनाती दादी कभी नानी।
कथा का आनंद तब बढ़ जाता,
वो सुनाती जब अपनी जबानी।
आरोह, अवरोह से साथ कहती,
सुन कर, सब को होती हैरानी।
हमने सुनी है हर रोज कहानी,
कभी सुनाती दादी कभी नानी।
लगता यूँ उतर आई है सामने,
परियों के बारे में जब बखानी।
मजे से सुना करते थे वो बातें,
बहा ले जाती हमको वो रवानी।
हमने सुनी है हर रोज कहानी,
कभी सुनाती दादी कभी नानी।
एक राजा, उसकी प्यारी रानी,
प्रेम और उनकी अजब परेशानी,
कथा के अंत में उसका सारांश,
चाहती थी, कुछ बातें सिखानी।
हमने सुनी है हर रोज कहानी,
कभी सुनाती दादी कभी नानी।
🖊️सुभाष कुमार यादव