पेड़ लगाओ धरती बचाओ
मैं ने पढ़ा है कि आसमान में लटके तारे से ज्यादा जमीन पर प्राणदान देने वाले वृक्षों की संख्या अधिक है । समाज में लगानेवाले पौधे से ज्यादा जंगलों में अधिक संख्या में वृक्ष बढ़ रहे हैं । यह तो खुशी की बात है पर कुछ लोग हैं वह अपनी लालच पूरी करने के लिए वृक्षों को काटना ही नहीं बल्कि उसपर आवास करनेवाले पशु पक्षियों को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं । पक्षियों से खाए फेंके हुए फल के बीज कहीं न कहीं पड़कर बारिश होते समय वो बीज पहले पौधे, फिर पेड़ फिर महावृक्ष बन जाते है । जंगल का रूपधारण करता है। पशुओं ने खेलखूद में जंगल के निर्माण में बहुत लाभदायक कार्य करते है । प्रकृति इतनी सुंदर बनने के लिए पशु - पक्षियों का योगदान बहुत बड़ा है । यह जितनी जरूरी है कि
पशु - पक्षियों के बिना पेड़ कहाँ से निकलते है
पेड़ के बिना इंसान का वजूद कहाँ है
क्योंकि इंसान की पहली आवश्यकता तो पहला पूरी होनी चाहिए वो है
स्वच्छ हवा, जो सदा वृक्षों से हम प्राप्त करते है
स्वच्छ जल, जो सदा नदियों से हम प्राप्त करते है
स्वस्थ भोजन, जो हमें अधिक से अधिक वृक्षों से प्राप्त करते है
आश्रय, जो पहले से हम ताड के पेड़ से झोंपड़ी बना लेते थे ।
कपडे, कुछ युगों से पहले तो आदिमानव ने धूप से बचने के लिए अपने शरीर को वृक्षों की डालियों से ढक लेते थे ।
इन सब के बिना इंसान का वजूद कैसे मिल सकते है
इसलिए
पेड़ लगाओ धरती बचाओ
पेड़ लगाओ जीवन बचाओ ॥

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




