जब से दिल में समाये उतरते ही नही।
मेरी गली में आजकल विचरते ही नही।।
रात का सन्नाटा हर रोज गहरा जाता।
नींद में दिख जाते तुम पिघलते ही नही।।
हम दोनों में फर्क़ अब नजर आने लगा।
सुन तो लेते मगर अमल करते ही नही।।
सहर आजकल खूबसूरत नही लगती।
इसलिए हम तुमसे कुछ कहते ही नही।।
जो छूटा उसे मनाने की कोशिश जारी।
मैं चाहती 'उपदेश' वो अपनाते ही नही।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




