असाधारण शब्द ‘दर्द’
छोटा सा साधारण शब्द ‘दर्द’
इसे समझना उतना ही असाधारण
कोई परिभाषा नहीं है इसकी
न ही शब्दों से समझ में आ सकता है
न ही किसी के भी अनुभव से
किसी के लिए सहनीय है
तो किसी के लिए असहनीय
तन का हो,मन का हो या हो धन का
सबकी ज़िन्दगी में होता ज़रूर है
कोई रो कर गुज़ार देता है
तो कोई हँस कर छुपा लेता है
दर्द तो दर्द ही होता है
कम-ज्यादा,छोटा-बड़ा नहीं होता
हमारा ज़्यादा दूसरे का कम नहीं होता .....
-वन्दना सूद