नफ़रत का नाटक कर हमे यूं सताते क्यों हो?
है अगर मोहब्बत तो नकारते क्यों हो?
बताते फिरते हो सभी को कि तुम्हें कितना
प्यार है मुझसे?
फिर ख़्वाहिश मुझसे दूर जाने की तुम
रखते क्यों हो ?
मेरी पीठ पीछे मेरी तारीफ़ें बहुत करते हो,
तो मेरे सामने मुझे नीचा दिखाने की कोशिश
करते क्यों हो ?
और जब मैं नहीं होती हूॅं साथ में तो
तस्वीर को मेरी देखते रहते,
फिर जब सामने मैं आती हूॅं तो नज़र - अंदाज़
करते क्यों हो?
यूं बेवजह मुझसे लड़ते झगड़ते क्यों हो?
हर बात में मुझ पर रो'ब झाड़ते क्यों हो?
प्यार का मतलब जिससे प्यार करो उसे
आज़ाद कर देना होता है,
फिर मुझ पर तुम इतनी बंदिशें लगाते क्यों हो?
✍️💐 रीना कुमारी प्रजापत 💐