कापीराइट गीत
शाम ये अभी से ढ़ली जा रही है
जिन्दगी ये मेरी लिए जा रही है
जाना मेरा तय है तभी जा रहा हूं अपने ही दिल को समझा रहा हूं
मगर याद तेरी ये मुझे आ रही है
जिन्दगी ये मेरी ....................
इस बात से मुझको कोई गम नहीं और यह खुशी भी कोई कम नहीं
कहानी ये अपनी कहे जा रही है
जिन्दगी ये मेरी .....................
ये शोहरत ये दौलत नहीं काम के
मेरी पहचान है काम और नाम से
अदा आज इसकी मुझे भा रही है
जिन्दगी ये मेरी .....................
ये शाम जब भी आएगी एक दिन
मुझे संग अब ले जाएगी एक दिन
यह शाम आखरी चली आ रही है
जिन्दगी ये मेरी .....................
- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )
सर्वाधिकार अधीन है