ओ माधव...
राधा पुकारें श्याम मोहे भाएं
कुंज गलीमें हमें वो सताएं..!
भाव के भूँखे और कछु न भाएँ
ओ माधव...वृंदावनमें अब रास रचाएं..!!
मोरारी मेरे मन आंगन में बसियां
वृंदावन की रजमें है जी मेरा बसियाँ
कुछ न भाएं मोहे माधव न सताएं
ओ माधव...वृंदावनमें अब रास रचाएं..!!
राधा वल्लभ जन-जन है गाएं
सुन धून आजा प्यारे, दर्शन पाएं
बंध अखियांमें, कछु नज़र न आएँ
ओ माधव...वृंदावनमें अब रास रचाएं..!!
बैचेन मन बावरा राहत न पाएं
आस तेरी तूझे चित से बुलाएं
आजा ओ प्रभु फिर देर न हों जाएं
ओ माधव...वृंदावनमें अब रास रचाएं..!!