एक पटाखा जलता है
जलकर ऊपर जाता है
जिसके साथ साथ
उठती जाती हैं,सारी नजरें
बच्चे, बूढ़े,किशोर,जवान की
उत्साह और उमंग साथ लिए
आसमान से जैसे ही
आतीं हैं, आवाज,ठांय ठांय ठांय
बिखर जाता है
सितारों का रंगीन झुंड
ये देख हर नजरें
मुस्कराने लगतीं हैं
रोमांचित तालियों की गूंज
सबको झूमाने नचाने लगतीं हैं
जलती हुई अनारदाने से,जब
निकलती है, किरणों के जलते फव्वारे
तब,पूरे आंगन में,उतर आता है
जलता सूरज, और चमकने लगता है
चेहरा तन और मन
एक जलती फुलझड़ी लेकर
जब, बालपन अपनी कलाइयां
घूमाता है,पूरा परिवार
हंसने, नाचने,खिलखिलाने लगता है
दीपावली इतनी सारी खुशियां
उमंग, चपलता ले आती है
अमावस की रात में
हमारी आंखों के सामने
सच में ऐसा होता है
कुछ लोग,
प्रदूषण और स्वास्थ्य की दुहाई देकर
दिवाली की आलोचना करते हैं
फ़िज़ूल खर्च बताकर मना करते हैं
कहकर डरातें हैं
आंखें खराब हो जाएंगी
फेफड़ों में छेद हो जाएंगी
कहीं आग लग जाएंगी
कहीं शामत आ आएंगी
हम तो नहीं सोचते, क्या
सच में ऐसा होता है ......?
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




