मेरे याद करने से क्या?,
निगाह उनकी तिरछी!
कॉल जाए कैसे ब्लॉक हुई,
समस्या हो गई तिरछी।
ख्वाब में आना जारी रहा,
हकीकत जाने क्यों तिरछी।
आशा लगाकर रखी फिर क्यों,
उम्मीद लग रही तिरछी।
अपनों को तकलीफ 'उपदेश',
अपनों की फितरत तिरछी।
चाहत नही इनका मरहम,
ज़ख्म करने को उँगली तिरछी।
- उपदेश कुमार शाक्यवार 'उपदेश'
गाजियाबाद