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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

इस राह पर चलना

इस राह पर चलना जरा सा देख भाल के
हमने तो रख दिया है कलेजा निकाल के।।

मजबूर तो बहुत हैं पर मशहूर हम नहीं
ना दे सकें दुआ भी जो दिल से निकाल के।।

किससे करेंगे न्याय की उम्मीद अब भला
सबने सजाया चांदी का सिक्का ही भाल पे।।

मोहरें सजाए वक्त ने कैसे हुनर से यार
जीतेगा हर लड़ाई वो अब सिर्फ ढाल से।।

एक भीड़ सामने ही बजाती थी तालियां
सच का किया है कत्ल देखो किस कमाल से ।।

तेरे बगैर मुमकिन तो अब जिंदगी नहीं है
हमने रखा है याद का हरएक गुल संभाल के ।।

पूजा जिसे है हरदम दिल ने देवता समझकर
उसने बनाया आसन भी हमारी ही खाल से।।




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (5)

+

श्रेयसी said

सबने सजाया चांदी का सिक्का हीं भाल पे... बहुत सुंदर बहुत ख़ूब 🙏🙏

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

सच का किया है क़त्ल,देखो किस क़माल से।एक लहराती हुई गीत की तरह खूबसूरत रचना।

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

उफ़्फ़... लहजे में तल्ख़ी है, पर लफ़्ज़ों में बेहिसाब गहराई।
हर शेर जैसे किसी ज़ख्म की आवाज़ हो — ना चीख़े, फिर भी सब कुछ कह दे।

जिसे पूजा, उसने ही लूटा — और हम फिर भी वफ़ा निभाते रहे... वाह, दिल तोड़ भी दिया और शायरी बना दिया! 💔🔥

ये शायरी नहीं, अदालत है दास सर जी — जहां हर लफ्ज़ गवाही देता है! 🙏🖤
आदरणीय दास सर जी तक सादर प्रणाम पहुंचे 👏👏

फ़िज़ा said

बहुत सुंदर बहुत ख़ूब 🙏🙏

शिवचरण दास said

आप सभी को अभिवादन सहित आभार आभार आभार

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