इस राह पर चलना जरा सा देख भाल के
हमने तो रख दिया है कलेजा निकाल के।।
मजबूर तो बहुत हैं पर मशहूर हम नहीं
ना दे सकें दुआ भी जो दिल से निकाल के।।
किससे करेंगे न्याय की उम्मीद अब भला
सबने सजाया चांदी का सिक्का ही भाल पे।।
मोहरें सजाए वक्त ने कैसे हुनर से यार
जीतेगा हर लड़ाई वो अब सिर्फ ढाल से।।
एक भीड़ सामने ही बजाती थी तालियां
सच का किया है कत्ल देखो किस कमाल से ।।
तेरे बगैर मुमकिन तो अब जिंदगी नहीं है
हमने रखा है याद का हरएक गुल संभाल के ।।
पूजा जिसे है हरदम दिल ने देवता समझकर
उसने बनाया आसन भी हमारी ही खाल से।।

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




