नवरस है कहा भावों को मगर
हर रस कहां मन भाता है
कोई करे हृदय को आह्लादित
कोई घृणा भाव उपजाता है
श्रृंगार रूप यौवन जो करे
हृदय में प्रेम विचार जगे
हास्य की फुलझङियों से
चेहरे पर स्मित मुस्कान सजे
निस्पृह करे जब शांत भाव
गहरे होता दिल पर प्रभाव
अदभुत होता है मंजर जो
अद्भुत तहरीर प्रत्यक्ष हो
दुख का वेग मन को डसे
जब करूण विचार इसमे बसे
भयावह माहौल भयभीत करे
संपूर्ण देह फिर शिथिल पड़े
घृणा जैसे नियति का श्राप
छीने सुकून और दे संताप
सबसे उत्तम रस वीरता
साहस और शौर्य जो सींचता
सब मिल जायें तो जीवन बने
लङियों में पिरो कर इन्हें चलें
चित्रा बिष्ट

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




