अँधेरों से रोशनी की राह
हर रोज़ अँधेरों को गले लगाता हूँ,
रोशनी की एक झलक पाने को
हर रोज़ उम्मीद के दिए जगाता हूँ,
रोशनी की सिर्फ़ एक झलक पाने को..
जब उम्मीद के झरोखों से रोशनी ढूँढने निकलता हूँ,
तो अँधेरे अँधेरों में उलझे दिखाई देते हैं ।
एक लम्बी सी गुफा अँधकार की गहराईयों में डूबी नज़र आती है,
वहीं कहीं दूर से एक चमक मुझे अपनी ओर खींच रही होती है ।
कुछ क्षण डर जाता हूँ उस राह के अनदेखे अनजाने अँधकार को देखकर
पर वह चमक मुझे सोने नहीं देती है।
तब लड़ जाता हूँ उस अँधकार से,जो मुझे जीतने से रोकती है,
पा लेता हूँ उस रोशनी को,जो अँधकार से गुज़रकर और भी खूबसूरत लगती है ।
वन्दना सूद
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




