मर्द आएगा —
तो शायद तुम्हारे सपनों का रंग बदलेगा,
या फिर
उनकी उड़ान को एक “Permission Letter” लगेगा।
तुम किताब पढ़ रही हो —
वो बोलेगा, “इतनी पढ़ाई का क्या करना?”
जैसे ज्ञान सिर्फ़
उनकी CV में शोभा देता है।
तुम अपनी देह को अपनाओ —
वो बोलेगा, “थोड़ा ढक लो, लोग क्या सोचेंगे?”
मतलब तुम्हारी त्वचा,
उसके सम्मान की रजाई है।
तुम मंदिर जाओ —
बोलेगा, “तुम्हारा धर्म अब मेरा है…”
तुम डिस्को जाओ —
बोलेगा, “क्या यही सीखा है माँ-बाप से?”
तुम जो भी करो —
एक अनुबंध में दर्ज होगा,
हर निर्णय के नीचे
उसका “हाँ” लिखा जाएगा।
और अगर तुम
कभी खुलकर हँस दो, नाच लो,
या बस ज़िंदा महसूस कर लो —
तो बोलेगा —
“तुम्हें मुझसे अब प्यार नहीं रहा क्या?”
मतलब प्रेम अब
तुम्हारी साँसों की भी निगरानी करेगा।
तुम्हारी हर चुप्पी
उसकी शंका बन जाएगी,
और हर सवाल
तुम्हारे चरित्र का लिटमस टेस्ट।
कभी तुम ध्यान लगाओगी —
तो बोलेगा, “किस गुरु से सीख रही हो?”
मतलब तुम्हारी आत्मा का भी
ऑडिट होगा।
और यदि तुम
ख़ुद से प्यार करने लगो —
तो वो कहेगा —
“अब तुम्हें मेरी ज़रूरत नहीं रही…”
हाँ,
ज़रूरत…
जैसे तुम कोई गैस सिलेंडर हो —
हर महीने रिफ़िल करवा कर
किचन में रख दी जाने वाली!
मर्द आ गया तो क्या होगा?
कुछ नहीं…
बस अब
तुम्हारी चूड़ियों की खनक से ज़्यादा
उसके जूतों की आहट सुनी जाएगी।

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




