कापीराइट गजल
दीवाना यूं जिसने मुझको बनाया है
साथी मेरा खुदा ने उसको बनाया है
अब होश है कहां, अय जमाने वालो
कैसा नशा मुझे अब तू ने पिलाया है
था, कुंवारा दिल, यह आज से पहले
इसको निशाना यूं किसने बनाया है
अगर यकीं ना हो तो पूछ लो दिल से
इसमें ठिकाना अब किसने बनाया है
देख कर तुझ को इस सोच में थे हम
कितना हंसी खुदा ने तुमको बनाया है
जब नशे में तुम, यूं मदहोश थे यादव
इस दर्द ने हर पल मुझको जगाया है
- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )
सर्वाधिकार अधीन है