दिल में मस्ती रूह सहभागी बनी।
मोहब्बत ने मिलाया जिंदगियाँ बनी।।
जब जब खिली प्रीति की कलियाँ।
तब सुगंधित प्रेम की गालियाँ बनी।।
खत्म नही होती ज़ज्बात की मारी।
नूरानी चाहत में कई रंगरेलियाँ बनी।।
रूहानी प्रेम की बाते चली 'उपदेश'।
सुनने सुनाने में कई कहानियाँ बनी।।
दुआओ में शरारत देखी इबादत में।
मोहब्बत में सजाया जिंदगियाँ बनी।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद