सब पर भरोसा करने का गुनाह कर गए।
जरूरत पड़ने पर अपने पहले मुकर गए।।
कहने की बात वक्त पर अपने काम आते।
लोग अपनो के लिए जीते और हम मर गए।।
ऐसा भी नही की वादा ना किया हो कभी।
खाकर कसमे करके वादा झूठे शहर गए।।
हमे गिराने की लाख कोशिशे की जमाने ने।
हर ठोकर मे हम पहले से ज्यादा निखर गए।।
हमे फर्क नही की गैरो से हासिल क्या हुआ।
हम तो अपनो से ही जख्म खाकर बिख़र गए।।
बेपरवाह लोग खुशियो की लहरो मे मशगूल।
परवाह में 'उपदेश' गम के दरिया में उतर गए।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद


The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra
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