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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

थोड़ा सा हँस लिया करो-ताज मोहम्मद

क्यों हो यूँ खामोश थोड़ा सा हँस लिया करो।
कभी-कभी अपनो परायों से मिल लिया करो।।1।।

ज़िंदगी यूँ भी ना देती है दर्द कि सह ना सको।
कभी-कभी थोड़ी सी मैखाने मे ले लिया करो।।2।।

हँसना रोना तो आम है हर ज़िन्दगी का यहाँ।
जागते हो रात भर ही थोड़ा सा सो लिया करो।।3।।

इश्क़ है जायज़ जिन्दगी में हर इंसान के लिए।
किसी के प्यार में थोड़ा सा हंस रो लिया करो।।4।।

दर्द ही दर्द दिये हैं तेरे हर पल को ज़िन्दगी ने।
खुदाई समझ के इनको भी तुम जी लिया करो।।5।।

हाँ मानते है ज़िन्दगी ने हर पल तुझको रुलाया।
फिर भी थोड़ा तबस्सुम लबो पर ले लिया करो।।6।।

ताज मोहम्मद
लखनऊ




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (5)

+

Shyam Kumar said

Bilkul sahi kha..jo ho rha ha hone do jo hoga use dekh lenge. Haso or dusro ko hasao.

प्रभाकर said

वाह ताज👌 और कोई शब्द नहीं मेरे पास 👏

Lekhram Yadav said

अति सुन्दर प्रस्तुति ताज भाई। वैसे हमने जब से दर्द और गम को अपना बनाया है तब से खुद पर भी हंसना सीख लिया है।

रमेश चंद्र said

हँसना रोना तो आम है हर ज़िन्दगी का यहाँ। जागते हो रात भर ही थोड़ा सा सो लिया करो।। bahut khoob

डॉ कंचन जैन "स्वर्णा" said

बहुत ही सुंदरता से सत्यता का वर्णन किया है आपने आदरणीय।

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