क्यों हो यूँ खामोश थोड़ा सा हँस लिया करो।
कभी-कभी अपनो परायों से मिल लिया करो।।1।।
ज़िंदगी यूँ भी ना देती है दर्द कि सह ना सको।
कभी-कभी थोड़ी सी मैखाने मे ले लिया करो।।2।।
हँसना रोना तो आम है हर ज़िन्दगी का यहाँ।
जागते हो रात भर ही थोड़ा सा सो लिया करो।।3।।
इश्क़ है जायज़ जिन्दगी में हर इंसान के लिए।
किसी के प्यार में थोड़ा सा हंस रो लिया करो।।4।।
दर्द ही दर्द दिये हैं तेरे हर पल को ज़िन्दगी ने।
खुदाई समझ के इनको भी तुम जी लिया करो।।5।।
हाँ मानते है ज़िन्दगी ने हर पल तुझको रुलाया।
फिर भी थोड़ा तबस्सुम लबो पर ले लिया करो।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ