प्यार से ख्वाबों और जगी हुई उम्मीदों के साथ,
यादों के पिंजरे में कैद उस पंछी के साथ,
हजारों खुशियों और लाखों वादों के साथ,
बिछड़ने जा रहा शायद सबका साथ।
दिल से तो पास मगर काफ़ी दूर होंगे,
मिलने में तो शायद अब सालों लगेंगे ,
बातें तो होती रहेंगी मगर
अब रोज़ की मुलाकातें नहीं होंगी ,
अब हमारी रोज़ की नोक- झोंक नहीं होंगी।
जीवन में थोड़ा खालीपन सा होगा,
कुछ दोस्तों का साथ बस यहीं तक का होगा,
सुबह तो रोज़ होगी मगर
अब स्कूल यूनिफॉर्म नहीं होगी,
लंच तो रोज़ होगा मगर
अब दोस्तों का डिब्बा नहीं होगा
शायद कुछ दोस्तों का साथ बस यहीं तक का होगा ,
ये सब यादों की तिजोरी सा होगा ।।
- सिमरन तिवारी ❤️