बस इतना बता दे ऐ मानसून,
कब लौटोगे फिर से मेरी भी ज़िन्दगी में !!
सुना है चालीस में लौटते हो,
बयालीस में फिर चांस है दूजा !!
पैंतालीस करते-करते..
पचपन भी निकल ना जाये कहीं !!
हर दिन है इन्तज़ार ..
बस तेरा है इन्तज़ार..
मुझे एक नाज़नी का..
हाय एक रूपकली का !!
जिसे देखके दिल फिर धड़के,
और मन में हो हलचल फिर से !!
बस इतना बता दे बदली,
कब बरसोगे मुझमें फिर से !!
अब जीवन हो गई है न्यूट्रल,
गेयर खराब हैं सारे !!
आगे बढ़ाओ पीछे जात है..
पीछे बढ़ाओ आगे जात है !!
माॅडल हो गई बहुत पुरानी,
गाड़ी में रफ्तार नहीं है !!
सोच रहा हूँ बदल ही डालूँ ,
गाड़ी नया अब ले ही डालूँ !!
रिफिल पुरानी न लिखती शायरी,
नई रहे तो फिलिंग आयेगी !!
नज़र लगे ना जवानी पे मेरे,
इसीलिए हूँ डाई लगाता !!
नैन बिछाये कलम लिये अब,
कब से मैं तैयार हूँ ..तैयार हूँ !!
(😍तभी पत्नी जी पीछे से आ चुकी हैं और कवि महोदय का सुर-ताल चेन्ज होना स्वाभाविक है 😍)
बस इतना बता दे पगली..
बस इतना बता दे जानू..
बस इतना बता दे दिलबर..
तुम मानसून हो मेरी,
तुम ही हो सावन मेरी !!
कब प्यार करोगे मुझको,
पहले की तरह !!
सर्वाधिकार अधीन है