बन के मिल का पत्थर
तुम कर्मयोधा कर्मयोगी
बन जाओ।
नियति को मात दे
तुम सुमति हो जाओ।
तुम्हें किस बात की
फिक्र है।
जब तुम्हारा योद्धाओं में
ज़िक्र है।
जीवन की रहस्मयी
गोताओं से उबरकर
कांटों को फूल
समझकर
सेज फूलों वाली
बिछा जाओ।
तुम हर खुशी
हर चाह पा लो
बन कर अभिमन्यु
पारथ तुम कुच का जाओ
विजय गाथा
हां तुम जीत का
जश्न मना जाओ
ऐ कलयुग के अर्जुन
तुम गांडीव उठाओ
भेद दो आंखें लक्ष्य की
तुम सचमुच में
कुंती पुत्र
अर्जुन बन जाओ।
अब खींच लो प्रत्यंचा
पापों का प्रतिकार करो
जीवनधारा को गतिमान करो
तुम संविधान प्रधान महान
बनो।
तुम कर्मों से अभिमान करो
पर घमंड तिनके भर नहीं
सबकुछ होगा तब सही सही...
सबकुछ होगा तब सही सही...