ज़िन्दगी में कुछ भी स्थायी नहीं … हर कदम हर पल कुछ न कुछ बदलता रहता है…. और हमें भी न चाहते हुए भी उस बदलाव के साथ बदलना पड़ता है।
कई बार हमें अपने दिल के बहुत करीबी चीजों को छोड़ना पडता है। जैसे अपना स्कूल..अपना घर…अपना गाँव...अपना देश..सबसे अहम अपने दोस्त…. आदि।
फिर साथ रह जाती हैं बस कुछ यादें पुरानी जो किसी को बताई नहीं जा सकती…. बस कहीं अंदर ही अंदर दिल के किसी कोने में 'उपदेश' अपना घर बसा लेती है।
जो याद आये कभी उस मोड़ पर एक पल मन की नज़रें खोल याद कर लेना….हो सके तो कभी खैर खबर ले लेना।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



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