ये आंखे यूं नहि उखडी कोई फिर याद आया है ,
हिचकियाँ फिर नही रुकती किसिको याद आया है l
दूरियां लाख करले वो नदा पहरे लगाले चल ,
पीर के इस समंदर में इश्क सेतु बनाया है l
वो हमसे दूर होके भी हमें जब याद कर बैठे ,
रात मीठे सपन में आ मुकम्मल बात कर बैठे l
सुबह बैरन लगी जब नींद का अहसास दे बैठि ,
हम उनके लाख पहरो को निशा मे मात दे बैठे l
ये ख्वाबो का अधूरा सिल सिला गर हो हकीकत तो ,
धड़कने उनकी में ये नाम धड़का हो हकीकत तो,
खुदा के नेक रहमत का ये दरिया मुझपे वर्षा हो ,
भला फिर कैसे मैं बिखरू वो मेरी हो हकीकत तो l
चांदनी आज छिपजा जा तुझे कैसे बताऊ मैं ,
गीत गाया न जाता जा तुझे कैसे सुनाऊ मैं ,
लगे जो दाग दामन मे तेरे फिर भी बहकता है ,
आज जो सामने मेरे उन्हें बेदाग पाऊ मैं l
तेजप्रकाश पाण्डेय ✍️लिखित