वह पडाव गया जब मलाल महकता था।
हर बाजी जीतने को दिमाग चहकता था।।
फायदा उठाने वाले समझने लगे मुझको।
एक जमाना था जब मददगार बनता था।।
कई दशक तक रहनुमाई बना रहा मगर।
लिखता हूँ 'उपदेश' पहले भी लिखता था।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद