जहाँ तलक जाती नज़र
तूँ मुझे आती नज़र
जहाँ नहीं मौजूद तूँ
वहाँ ही ढूढ़े तुझे मगर
जहाँ तलक जाती नज़र
तूँ मुझे आती नज़र
अनहोनी सी हो जाएँ खता
न करनी पड़े तुझसे बेवफ़ा
करे कुछ गजब ऐसा
पर हो जाती गलती मगर
जहाँ तलक जाती नज़र
तूँ मुझे आती नज़र
सूखा हो जाएँ नैना का सागर
पागल-पन के दौरमें हो सफऱ
मिट जाएंगी तमन्ना भी अगर
फिर भी चाहेंगे तुझे हर डगर
जहाँ तलक जाती नज़र
तूँ मुझे आती नज़र
अलविदा होकर भी विदा नहीं
तुझसे कभी मैं ख़फ़ा नहीं
रूठना भी मुझे आया ही नहीं
मिलेंगे अगले जन्म बस इतना सही
जहाँ तलक जाती नज़र
तूँ मुझे आती नज़र