किया उम्मीद मैने जिसका उसे खो रहा हूं अब और मत सता मुझे ऐ जिंदगी मैं तकदीर खो रहा हूं
कभी ये सोचो इंतजार में तेरे जिंदगी कैसे बिताया हमने और तुम्हें फिक्र नहीं सोच कर मैं रो रहा हूं
पिला कर कांटों को खून अपना राह ए तलब गुलाब मैं बो रहा हूं मिटा कर अरमां ख्वाब में खो रहा हूं
बाद तुम्हारे कौन होगा जिसे होगी फिक्र मेरी बस मैं इसी सोच में गवां कर जिंदगी पहचान खो रहा हूं
🙏मेरी स्वरचित गज़ल नाकाम जिंदगी🙏