शहर में बस गए आकर अब गांव ढूंढ़ते हैं
कहीं वो पुराने बरगद की हम छाँव ढूंढ़ते हैं
जाम ब्रेड बटर खाकर मन ऊब गया देखो
वो चूल्हे की रोटियां संग हम साग ढूंढ़ते हैं
डनलप के मोटे गद्दे खुद खा रहें कमर को
फिर से कोई पुरानी अब हम खाट ढूंढ़ते हैं
है पी लिया शहर के आरो का बासी पानी
परिंदो के शोरगुल के अब हम घाट ढूंढ़तेहैं
ना जमीं हमारे पाँव तले ना सर पे आसमां
चाँद सितारों से सजी अब हम हाट ढूंढ़ते हैं

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




