प्रेम..शब्द नही, घटना नही, पट कथा नही,
एक उमंग उसकी तरंग सिर्फ महसूस होती
दिल की गहराइयो में,
एकदम गहरे, जिसमे डूबी रहती
फिर कुछ होश ही नही रहता,
एक ऐसा आनंद,
जिसका वर्णन नही किया जा सकता,
जो शब्दों में नही समाता, क्रिया रहती
जिसमे शब्द न हो, अपेक्षा न हो,
जो आत्मा से, दिल की गहराइयो से,
जो निरंतर हो 'उपदेश' साँसों में,
जिसमे तड़प रहती, ललक रहती, आस रहती !
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद