आध्यात्मिक स्त्रियाँ भी होती
लेकिन कभी घर नहीं छोड़ती
मासिक धर्म में हार्मोंस बढ़ जाते
व्यथित होती और प्रीति जोड़ती
देखने वालों को क्या पता होता
बेकरारी के आलम में उफ न बोलती
ज़ज्बाती होकर भी इंतजार रहता
करीब आने को मुँह न खोलती
उदास होती कभी-कभी साथ में
दुख दर्द आभास होने नही देती
बहाने आते तरह तरह के 'उपदेश'
बहानों को हाबी होने नही देती
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद