कविता : मां बाप की पीड़ा....
मां बाप ने बच्चों को
खिलाया पिलाया
उनका हर एक
व्यवस्था मिलाया
उन्हें पाल पोश
पढ़ाते रहे लिखाते रहे
बचपन से जवानी
तक रास्ता दिखाते रहे
फिर बच्चे भी
बड़े हो गए तो
अपने पैरों पर
खड़े हो गए तो
बच्चे लोग न मां बाप को देखते
न उनसे करते कोई बात
बेचारे मां बाप के साथ
ये कैसा विश्वासघात ?
मां बाप तो वृद्ध हो गए
काम दोनों का तमाम हो गया
घरबार छोड़ छाड़ अब उनका
रहना एक वृद्धाश्रम हो गया
वृद्धाओं के लिए न आदर
सम्मान न प्यार हो गया
उनके लिए तो ये सारा
संसार बेकार हो गया
उनके लिए तो ये सारा
संसार बेकार हो गया.......