यों ही मन हल्का करने वाले मिल जायेगे कई।
हकीकत से वाकिफ सच बता ना पायेगे कई।।
गलत कहने वाले एक नही बेशुमार ज़माने में।
ठीक से जानते ही नही फिर भी बतायेंगे कई।।
अपने अपने ख़यालात तरीके अपने अपने है।
उजाला कहने वाले कम अँधेरा बतायेंगे कई।।
नदी सी कल-कल बहती वो प्रेरणा की श्रोत।
यों धूप से दुख पर छांव का सुख बतायेंगे कई।।
वो बिना देरी के 'उपदेश' घने वृक्ष में बदलती।
कई शीतल छांव सा बताते खुशी मनाएंगे कई।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद