शपथ सिंदूर की लेते हैं
शपथ सिंदूर की लेते हैं हम,शीघ्र तुम्हें मिटाएंगे।
आतंक के आकाओं सुन लो, दोजख में पहुंचाएंगे॥
निर्दोषों की हत्या कर, कायर क्या मर्द कहाओगे?
धर्म ईमान नहीं कुछ तेरा, हूर कहाँ से पाओगे॥
खाक नसीब न होने देंगे, सीधा तुम्हें जलाएंगे।
आतंक के आकाओं सुन लो, दोजख में पहुंचाएंगे॥
तुमने पीठ में छुरा घोंपा, हमने जिंदा गाड़ दिया।
कायरता दिखलायी तुमने, हमने सीना फाड़ दिया॥
अरे कायरों सुनलो तुमको,तेरी औकात बताएंगे।
आतंक के आकाओं सुन लो, दोजख में पहुंचाएंगे॥
सन सैंतालीस से पच्चीस तक, हरेक जंग तू हारा है।
बेशर्मों थोड़ा शर्म करो, हर बार ही तुमको मारा है॥
इतिहास तुम्हारा भारत था, फिर से वह दुहराएंगे।
आतंक के आकाओं सुन लो, दोजख में पहुंचाएंगे॥
धर्म पूछकर मारा तुमने, हमने मिट्टी में मिला दिया।
छुपकर तूने वार किया, हमने तेरा घर ढहा दिया।
रावलपिंडी से लाहौर तक, पूरा पाक मिटाएंगे।
आतंक के आकाओं सुन लो, दोजख में पहुंचाएंगे॥
-उमेश यादव