वो शहर की धड़कन सी—नर्म भी, तेज़ भी,
जैसे चाँदनी में भीगी हुई कोई आरज़ू का क़ाफ़िला।
वो समय की सड़क पर चलती—मगर रुकती नहीं,
आंधियों में भी दीपक-सी, अपनी लौ से दुनिया चुनाती।
वो ख़्वाबों की मिसरी, तल्ख़ हक़ीक़त की हरी चाय भी,
कभी फूलों-सा नाज़ुक, कभी चट्टानों-सी अडिग।
दिल में साज़-ए-इश्क़, आँखों में जिल्लत के ख़िलाफ़ बगावत,
दिमाग़ में क़िताबों की बारिश, और क़दमों में इंक़लाब की गूँज।
वो दफ़्तर की मेज़ पर क़लम नहीं—
तलवार-ए-तदब्बुर है, जो खामोशी की दीवारों को चीरती।
उसका हर फ़ैसला, जैसे सुबह की अज़ान,
एक नई रोशनी, एक नई मंज़िल का ऐलान।
घर भी उसकी, दुनिया भी उसकी—
जैसे दोनो किनारों को जोड़ती कोई संगम धारा।
कंधों पर फ़र्ज़ की दूहिता, दिल में हक़ का रंग,
गुलाब-ए-नाज़ की तरह महकती, मगर काँटों-सी ख़ुददार।
वो सिर्फ़ तन नहीं, अफ़्कार की अनंत गैलेक्सी है,
जहाँ सितारे भी उससे नूर माँगते दिखाई दें।
वो मौसम-ए-परवाज़ है—जकड़न तोड़ उड़ती हुई,
ज़िंदगी के रुक़्सार पर उम्मीद-सा इत्तरीन मलती।
ये आज की औरत—
ख़ुद अपनी दास्तान, ख़ुद अपना राग, ख़ुद अपना आसमान,
जैसे बारिश के बाद सतरंगी इन्द्रधनुष,
जो तूफ़ानों से हारता नहीं—बल्कि
उनसे भी रंग निचोड़ ले आता है।


The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra
The Flower of Word by Vedvyas Mishra







