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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

तुझे देखके मेरे बदन में..

तुझे देखके मेरे बदन में,
सरसराहट सी हो रही है !!
फूलझड़ी सी छूट रही है,
झुरझुराहट सी हो रही है !!

इसे खेल मैं समझूँ उमर का,
या असर है मौसमी कोई !!
मेरे होंठ सूख रहे हैं,
थरथराहट सी हो रही है !!

अब तो इलाज करो मेरी,
या ऐसे ही मर जाऊँगा !!
है अजीब सी बेचैनी,
कंपकपाहट सी हो रही है !!

वेदव्यास मिश्र की शृंगार रस से ओतप्रोत
एक शानदार हाई😍वोल्टेज रचना..


यह रचना, रचनाकार के
सर्वाधिकार अधीन है


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (7)

+

Supriya sahu said

वाह...बहुत खूबसूरत एवं लाज़वाब रचना सर 👌👌, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

वेदव्यास मिश्र said

Supriya sahu जी, अत्यन्त आभार आपका इस रचना में सबसे शानदार और पहली उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए 💝💝

वेदव्यास मिश्र said

Supriya sahu जी, शुभाशीष नमन 🙏🙏

रीना कुमारी प्रजापत said

बहुत सुंदर रचना 👌👌

सुभाष कुमार यादव said

क्या कहने मिश्र सर जी। बेहतरीन।👌👌👌

वेदव्यास मिश्र said

रीना कुमारी प्रजापत जी, बहुत-बहुत स्वागत आभार !! ये उपन्यास लिखने में मुझे पूरे तीन साल लग गये ..इसमें से एक साल तो क्लाइमेक्स ढ़ूढ़ने में ही निकल गये !! सच कहूँ तो सब दुआयें हैं आप सभी शुभचिन्तकों की !! सादर सप्रेम नमन सहृदय 🙏💝💝🙏

वेदव्यास मिश्र said

सुभाष कुमार यादव सर जी, लिखन्तु परिवार से परिचय करवाने में मैं अत्यन्त प्रसन्नता का अनुभव कर रहा हूँ कि हम एक ही संकुल से शिक्षक सहपाठी हैं और एक -दूसरे के प्रति अगाध प्रेम है !! इनकी रचनायें युवा दिलों के साथ-साथ समसामयिक संदर्भों पर आधारित होती हैं जो एक कसमसाहट पैदा करती हैं सुप्त समाज को जगाने के लिए !! मैं हमेशा इनकी रचनाओं को पढ़ता हूँ और इनके उज्जवल रचनात्मक भविष्य के लिए दुआयें करता हूँ !! आभार थैंक्स सर जी !!

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