पानी में गिरी तेरे अश्कों की बूंद को भी पहचान लेते हैं,
तू लाख छुपाए अपना दर्द तेरे दर्द को हम जान लेते हैं,
क्योंकि आप नहीं होंगे भले ही हमसे वाक़िफ़, लेकिन हम है आपसे पूरी तरह से वाक़िफ़ .....
तेरी खुशियों में हॅंसते हैं तेरे साथ हम,
तेरे दुःखो में रोते हैं तेरे साथ हम,
तू लाख मुस्कान रखे अपने चेहरे पर लेकिन तेरे गमों को जान लेते हैं हम,
क्योंकि आप नहीं होंगे भले ही हमसे वाक़िफ़, लेकिन हम है आपसे पूरी तरह से वाक़िफ़.....
एक दिन अचानक पड़ी एक फोटो पर नज़र हमारी, उसमें था एक हाथ,
पहचान लिया हमने उसे वो तो था आपका ही हाथ, पहचानते कैसे नहीं भला,
क्योंकि आप नहीं होंगे भले ही हमसे वाक़िफ़, लेकिन हम है आपसे पूरी तरह से वाक़िफ़.......
तुम्हारे दिल में हमारी जगह क्या है,
तुम्हें प्यार हमसे कितना है यह बताती नहीं हो तुम, पर हम सब जान जाते हैं,
क्योंकि आप नहीं होंगे भले ही हमसे वाक़िफ़, लेकिन हम है आपसे पूरी तरह से वाक़िफ़........
"रीना कुमारी प्रजापत"
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




