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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

पापा को मुस्कुराते देखा

पापा को मुस्कुराते देखा,
तो अपनी सांसों को चलते देखा।
हज़ारों दर्द में भी पापा कभी
ग़मगीन नहीं होते,
मैंने ख़ुद को उनमें जीते देखा।

पापा जब हम पर गुस्सा होते हैं,,
तो मुझे बड़ी ही हॅंसी आती है।
क्योंकि वो गुस्सा उनकी नाराज़गी नहीं
उनका हमारे लिए प्यार होता है
जिसे वो गुस्से से जताते हैं।

हम उसके विपरीत ही करते हैं,
जो पापा कहते हैं।
क्योंकि वो कहते नहीं पर हम जानते हैं,
जो हम चाहते हैं वो भी वही चाहते हैं।

पापा को मैंने कभी नए कपड़ों में नहीं देखा,
ना ही कभी उन्हें अच्छा खाते देखा।
हमारी कोई ख़्वाहिश अधूरी ना रह जाए,
इसलिए उन्हें बस प्याज़ रोटी खाते
और फटे कपड़े पहनते देखा है।

हम क़ाबिल बन जाएं ,
इसलिए पापा अक्सर लोगों के सामने
हमारी मौज़ूदगी में हमे बुज़दिल कहते और
हमारी बुराई करते हैं ।
पर चुपके से सुना है मैंने कई बार,
जब हम ना हो उनकी महफ़िल में
तब हमे बहादुर कहते और तारीफ़ें करते हैं।

~ रीना कुमारी प्रजापत




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (4)

+

आत्माराम जानकी said

सुन्दर रचना अच्छी तरह से अभव्यक्त किया है

रीना कुमारी प्रजापत replied

Dhanyawad

वन्दना सूद said

सुंदर भाव 😊

रीना कुमारी प्रजापत replied

Thanks

Lekhram Yadav said

पापा पर सुन्दर गजल लिख देती हो मेरी प्यारी बहना, कम से कम आज तो हैपी फादर्स डे भी मन लेती। हैपी फादर्स डे मुबारक हो।

Sanjay Srivastva said

पाप के लिए, संवेदनशील उद्गार

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