अधिकारों की सुरक्षा: भारत में महिलाएँ और कानून-एडवोकेट शिवानी जैन
शिवानी जैन एडवोकेट की रिपोर्ट
महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए भारत का कानूनी ढाँचा काफ़ी विकसित हुआ है। ऐतिहासिक कानून घरेलू हिंसा (घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005), यौन उत्पीड़न (कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013) और दहेज (दहेज निषेध अधिनियम, 1961) जैसी भेदभावपूर्ण प्रथाओं जैसे मुद्दों से निपटते हैं। ये कानून भारत में महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करते हैं। उदाहरण के लिए, घरेलू हिंसा अधिनियम महिलाओं को अपने घरों में होने वाले दुर्व्यवहार से सुरक्षा पाने का अधिकार देता है। इसके अतिरिक्त, सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण नीतियों का उद्देश्य महिलाओं की भागीदारी बढ़ाना है, आज भी महिला सुरक्षा एक चुनौतियाँ बनी हुई हैं। असमान कार्यान्वयन और सामाजिक मानसिकता इन कानूनों की प्रभावशीलता में बाधा डाल सकती है। जागरूकता बढ़ाना, त्वरित कानूनी उपाय सुनिश्चित करना और सामाजिक दृष्टिकोण बदलना सच्ची लैंगिक समानता प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण हैं।

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



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