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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

सोच से जो परे है

हम मध्यम वर्गीय वालों की सोच से जो परे है
अब उसी सोच को हम सब कस कर पकड़े हैं

मैं आसमांँ छू न पाई तो कोई मलाल नहीं
अब बच्चों को उड़ाने की ख़ातिर ज़िद पर अड़े हैं

जिसे कभी पंखुड़ियों पर चलाया था हमने
बड़े उद्देश्य के लिए चलने को कंकरियों पर छोड़े हैं

कोई साथ हो न हो परवाह नहीं है मगर
रब के द्वारे दोनों हाथ उठाए रहते रोज़ खड़े हैं




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (9)

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Supriya sahu said

बहुत सुंदर रचना मैम 👌👌, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

Shiv Charan Dass said

बिलकुल सच शायद उससे भी आगे! सुन्दर

सुभाष कुमार यादव said

बहुत सुंदर रचना।👌👌🙏

Lekhram Yadav said

और .....खङे ही रहना....यही नियति है, बहुत खूब, आपको सादर नमस्कार

वन्दना सूद said

क्या बात 👌👌उम्दा लिखा

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

आसमां छू न पाई तो मलाल नहीं बहुत सुंदर पंक्ति, इच्छाओं का, सपने का कोई अंत नहीं होता

Updesh Kumar Shakyawar said

बहुत सुंदर रचना।👌🙏

श्रेयसी said

आप सभी का तहे दिल से बहुत-बहुत आभार, धन्यवाद, शुक्रिया 🙏🙏

Supriya sahu said

बहुत खूबसूरत रचना मैम 👌👌, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

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