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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

गजल - आंखों वाले अन्धे

कापीराइट गजल

होते हैं आंखों वाले भी अन्धे बहुत जमाने में
रहते नहीं कभी पीछे अपनी कला दिखाने में

उनकी नजर में पागल हैं बैठे हैं जो आज यहां
समझा नहीं किसी को, अच्छा कभी जमाने में

बात करें क्या उनकी, जो देख के भी ना देखें
ये रहते नहीं कभी पीछे अपनी बात बताने में

क्या बतलाएं क्या समझाएं हम ऐसे लोगों को
वक्त बहुत लगता है यारो, बातें ये समझाने में

आदत से मजबूर हैं वो, ये कैसे हम बतलाएं
ऊंट रेल में ना बैठे, कई मुश्किल हैं बैठाने में

काश उन्हें भी बात यही बतला दे कोई यादव
अक्ल जरा सी गर होती आता मजा बताने में

- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )


यह रचना, रचनाकार के
सर्वाधिकार अधीन है


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (4)

+

सुभाष कुमार यादव said

👌👌👌👌

Lekhram Yadav replied

आपको बहुत-बहुत धन्यवाद सुभाष जी, आपको सादर नमस्कार।

Lekhram Yadav replied

आपको बहुत-बहुत धन्यवाद सहित सादर नमस्कार सुभाष जी।

वन्दना सूद said

sir 🙏🙏किसकी leg pulling हो रही है आज आपके शायराने अंदाज़ में

Lekhram Yadav replied

आदरणीय वन्दना जी यह केवल उन व्यक्तियों के लिए है जिन्हें मालूम है और दिख भी रहा हैकिंग अमुक व्यक्ति क्या कर रहा है फिर भी पूछते हैं कि वह क्या कर रहा है, ऐसे व्यक्ति ही आंखों के होते हुए भी अन्धे होते हैं।

कमलकांत घिरी said

वाह वाह सर जी लाजवाब 👌 बहुत खूब और बहुत ही सही👏🙌👌🙏 प्रणाम 🙏

Lekhram Yadav replied

आपका बहुत-बहुत हार्दिक धन्यवाद कमलकांत भाई, आपको सादर नमस्कार।

Shiv Charan Dass said

वाह वाह! आजकल ऊंट भी रेल में चल सकते हैँ

Lekhram Yadav replied

आपका बहुत-बहुत हार्दिक धन्यवाद एवं सादर नमस्कार

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