कापीराइट गजल
होते हैं आंखों वाले भी अन्धे बहुत जमाने में
रहते नहीं कभी पीछे अपनी कला दिखाने में
उनकी नजर में पागल हैं बैठे हैं जो आज यहां
समझा नहीं किसी को, अच्छा कभी जमाने में
बात करें क्या उनकी, जो देख के भी ना देखें
ये रहते नहीं कभी पीछे अपनी बात बताने में
क्या बतलाएं क्या समझाएं हम ऐसे लोगों को
वक्त बहुत लगता है यारो, बातें ये समझाने में
आदत से मजबूर हैं वो, ये कैसे हम बतलाएं
ऊंट रेल में ना बैठे, कई मुश्किल हैं बैठाने में
काश उन्हें भी बात यही बतला दे कोई यादव
अक्ल जरा सी गर होती आता मजा बताने में
- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




