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कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

ये सोशलमिडिय की बनावटी दुनियां

Jun 28, 2024 | E-Books | Kanchan R  |  👁 799,133

ये क्या हुआ?
हम इंसान कितने बदल गए हैं, किसी के पास हो कर भी इतनी दूर हो गए हैं, और किसी से मिलो दूर होते हुए भी उसके पास हो गए हैं।
ये मतलब की दुनियां में जो अपने थे, अब तो वो गैर हो गए हैं,
पास रहकर भी बहुत दूर हो गए हैं,
साथ में कोई साथ हो तो उसकी कोई फिकर नहीं है,
जो मिलो दूर हो उसके लिए वक्त की कमी नहीं है,
अगर गलती से मिल भी जाए, या साथ कही घूमने जाए,
तो भी ओ अजनाने बने हुए रहते हैं,
अपनी ही मोबाइल की दुनिया, झुटी और मतलबी दुनियां के लोगों में खोए खोए हुए से रहते है,

अब तो सच्चे दोस्त वो नही होते हैं जो साथ मे होते है,
या उनके हर मोड़ पर साथ निभाया करते थे,
अब तो सच्चे और अच्छे दोस्त वो है,
जो इंस्टाग्राम और अन्य सोशलमिडिया के जरिए मिलते हैं,
और बहुत अच्छी अच्छी बाते करते हैं,
और वही सब कुछ हो जाते हैं, परम मित्रता निभाते हैं।
कोई पास मे बैठा हो ,तो ये नही की दो चार बाते हम से भी कर ले, घुसे हुए रहते हैं, मोबाइल फोन में और reels पर हस्ते है, और बेकार की बाते गैरो से करते है, खुश रहते हैं,
कुछ नहीं रखा है, ये सोशलमिडिय की झूठी और बनावटी दुनियां में, आएंगे लोगो आके चले जायेंगे,
साथ हमेशा वही रहेगा,और जरूरत पड़ने पर भी वही काम आयेगा, जो आपके साथ है और पास में है, वही दोस्त काम आयेगा।
माना की कुछ लोगो मिल जाते है, जो आपकी सच मे फिकर करते हैं, और आपकी भलाई चाहते है, जो आपको दिल से खुश रहते हुए मुस्कुराते हुए देखना चाहते हैं, जो वाकई आपके लिए खुशी चाहते हैं, लेकिन ऐसे लोग बहुत कम ही होंगे, जो आपको आगे बढ़ते हुए देखना चाहेंगे और आपको प्रोत्शाहित करते हुए रहेंगे, बहुत कम ही मिलेंगे।
दुनिया कितनी बदल गई हैं, और उसके साथ इंसान और उसका व्यवहार भी, हर कोई खोया हुआ है, एक भ्रम में जी रहा है।

चार दोस्त होके क्या फायदा जब ओ आपके साथ ना हो,
एक ही दोस्त हो लेकिन आपके साथ हो जो आपको कभी अकेला न होने दे, आपकी खुशी और फीलिंग्स की कद्र करें, आपकी कद्र करें, जब आप उनके साथ हो तो ये नहीं की सोशल मीडिया में खोए रहे, एक कोने ओ और एक कोने ये और झूठी हसी में खुश रहे, ऐसे में क्या फायदा आपका उनसे मिलना या ना मिलना, इससे अच्छा दूर हो रहो, अकेले ही रहो खुश रहो।
अपना वक्त सही जगह लगाओ, और उनके साथ बिताओ जो आपके लिए अपना वक्त बिताना चाहते है, जो आपकी कद्र करते हैं।
कोई बार बार कोशिश करते हुए हार जाता है, तो वो भी फिर कोशिश करना बंद कर देता है, एक बार बोलने से समझ नही आए तो सौ बार भी बोलने से समझ नहीं आयेगा,
सब कुछ भुला कर वो इंसान फिर आगे बढ़ जाता है, फिर कोई
उम्मीद नहीं रखता है किसी से, दोस्त हो या कोई भी फिर ओ अपनी ही दुनिया में अकेले ही खुश रहना सीख जाता है,और धीरे धीरे उन लोगो से बहुत दूर चला जता हैं,
इंशना के जाने के बाद ही आप उसकी क़ीमत समझते हो,
जब तक ओ आपके लिए और आपके साथ रहता है तब उसकी कोई वैल्यू नही होती हैं,
जाने अनजाने में कुछ ऐसा बोल देता है इंसान की फिर आप उनसे चाह कर भी कुछ भी बोल नहीं पाते हो।

जिन्दगी में अकेले रहो खुश रहो, मतलभी दुनियां से दूर,
खुद पर विश्वास करे, और अपने सपनों को पूरा करे।

Social media का इस्तेमाल उतना ही करे जितना जरूरी है,
जरूरत से ज्यादा कुछ भी हो वो अच्छा नहीं होता हैं।
अपनो के साथ रहे, और अपनो के पास रहे, जिन्दगी और भी खूबसूरत हो जायेगी।




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (4)

+

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Sach kaha aapne social media ek banawati duniya hai..avsaad ke alawa kuch bhi prapt nahi hota social media se yeh mera bhi personal experience hai

Kanchan R replied

Thank you 😊

कमलकांत घिरी said

बिल्कुल सही कहा आपने, आपकी लिखी एक एक शब्द मेरे दिल को छू गई, बहुत अच्छे विषय में लेख प्रस्तुत की आपने बहुत ख़ूब 👌🙌👏👏

Kanchan R replied

Dhanyawad 😊

Bhushan Saahu said

Bilkul thik kha... bs aaj ke youth ko ye smjh aa jaye to achaa h.

Kanchan R replied

Bahut bahut shukriya

Uma Shri said

Uttam rachna bahut khoob

Kanchan R replied

Thank you 😊

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