अशुभ लगा देखकर उसके आँखो में पानी।
मुझे क्या पता मेरी जान मेरे लिए दीवानी।।
अन्दर झांककर देखा कहाँ से आया पानी।
जुदाई का दर्द दिखा उसी से बह रहा पानी।।
जज़्बात का हिसाब नापने की कोशिश में।
कई सवाल बाहर निकले इतना साफ पानी।।
खुदगर्ज बहुत निकली सह गई हर दर्द को।
कह न सकी खुद 'उपदेश' दर्द की कहानी।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद