"ग़ज़ल"
इलाही मुन्तज़िर हूॅं तेरी नज़र-ए-करम का!
तेरे पास ही दवा है मेरे रंज-ओ-अलम का!!
वफ़ा बन के लहू रगों में जोश मारता नहीं!
धड़कता नहीं है दिल किसी पत्थर के सनम का!!
वो अजनबी है फिर भी है वो अपनों से बढ़ कर!
लगता है उस से नाता है कोई पिछले जनम का!!
परवाह किसे मंज़िल की मैं चलता ही रहा हूॅं!
रिश्ता है पुराना रास्तों से मेरे क़दम का!!
अब सच का कोई हामी कहाॅं सुकरात के जैसा!
मुस्कुराते हुए पी ले जो प्याला सम का!!
हम मानते हैं दिन को खुशियों की अलामत!
हम जानते हैं रिश्ता है रातों से ग़म का!!
मुझ को यक़ीं है आज भी दुनिया में वफ़ा है!
कहते हैं सब इलाज नहीं कोई मेरे वहम का!!
निकला है देखो बे-कफ़न रिश्तों का जनाज़ा!
अब अल्लाह ही मालिक है रिश्तों के भरम का!!
ग़ैरों के ढाए ज़ुल्म का वो इंसाफ़ करेगा!
फ़रियाद सुनेगा वो ही अपनों के सितम का!!
है इंसानियत मज़हब मेरा प्यार ख़ुदा है!
'परवेज़' पैरोकार नहीं मैं दैर-ओ-हरम का!!
- आलम-ए-ग़ज़ल परवेज़ अहमद
© Parvez Ahmad
The Meanings Of The Difficult Words:-
*मुन्तज़िर = इन्तज़ार करने वाला (one who waits); *नज़र-ए-करम = मेहरबानी की नज़र या मेहरबानी का रवैया (kind attention or benevolence); *रंज-ओ-अलम = दर्द-ओ-ग़म या दुख-मुसीबत (grief and sorrow); *हामी = हिमायत या तरफ़दारी करने वाला (supporter or helper or defender); *सम = ज़हर (poison); *अलामत = निशान या पता या पहचान (mark or sign or mark of identification); *वहम = अंधविश्वास या भ्रम या मिथ्या (superstition or illusion or delusion); *भरम = भरोसा (belief or faith or trust); *फ़रियाद = शिकायत की आवाज़ या ज़ुल्म की शिकायत (cry for help or complaint or plaint); *सितम = ज़ुल्म या ना-इंसाफ़ी या अत्याचार (oppression or cruelty or injustice or ill-treatment); *पैरोकार = पैरवी करने वाला या हिमायती या अनुयायी या अनुगामी (supporter or follower); *दैर-ओ-हरम = मंदिर और मस्जिद (temple and mosque).